पिता की संपत्ति पर पुत्र का कितना अधिकार होता है यह सवाल सभी के मन में उठता होगा तो आइये जानते हैं भारतीय कानूनी प्रणाली में एक बहुत ही महत्वपूर्ण सवाल है। पुत्र का पिता के सम्पत्ति पर अधिकार उसकी मृत्यु के बाद या उसकी वसीयत या वसीबंदी में होता है। हालांकि, इसमें कुछ नियमो का पालन करना होता है।
पिता की संपत्ति पर पुत्र का अधिकार विवाहित पुत्रों के समान ही होता है, ऐसा माना जाता है कि विवाहित पुत्रों को पुत्र के नाम पर संपत्ति ट्रांसफर करने का अधिकार होता है। यदि पिता की कोई वसीयत नहीं है, तो संपत्ति का दो-तिहाई हिस्सा बच जाता है, जिसे उसके विवाहित पुत्रों में विभाजित कर दिया जाता है।
पिता की संपत्ति पर पुत्र का अधिकार परिवार के अनुसार निर्धारित होता है। जब पिता वसीयत में अपनी संपत्ति छोड़ता है, तो वह इसे अपने वंशज की सदस्यों के बीच बांटने का हकदार होता है।
पिता की संपत्ति का वारसा कौन कौन से होते हैं
पिता की संपत्ति के वारिस निम्नलिखित होते हैं:
- पत्नी
- बच्चे
- माता-पिता
- भाई-बहन
- दादा-दादी और नाना-नानी
पिता की संपत्ति का मालिक कौन होता है
पिता की संपत्ति का स्वामी पिता होता है। यदि पिता वसीयत में अपनी संपत्ति नहीं छोड़ता है तो नियमानुसार उसकी संपत्ति का निश्चित उत्तराधिकार होता है।
क्या संपत्ति का विवादित हिस्सा होने पर पुत्र के पास कोई हक होता है
हां, अगर पिता की संपत्ति में कोई विवाद है तो उस पर बेटे का अधिकार है। वे संपत्ति के उस हिस्से के हकदार हैं जो उनके पिता की संपत्ति पर होता है। उन्हें संपत्ति के मालिक या उसके उत्तराधिकारियों के साथ संपत्ति साझा करने का यह अधिकार प्राप्त होता है।
मां बाप की संपत्ति पर किसका अधिकार होता है
भारतीय नियम के अनुसार माँ बाप की सपति पर केवल वंशजो का अधिकार होता है जैसे की पुत्र और अविवाहित पुत्री इन सभी सम्पति का बराबार हिंसा के हक़दार होते हैं भारतीय कानून में माता-पिता की संपत्ति वंशजों को विरासत में मिलती है। इसके लिए सिविल प्रॉपर्टी एक्ट में सेक्शन 8 और 9 हैं। यह कानून भारत के सभी राज्यों में लागू है।
मां बाप की संपत्ति को वंशजों के नाम पर करने के लिए, उन्हें निम्नलिखित दस्तावेजों की जरूरत होती है:
- मृतक की मृत्यु प्रमाण पत्र
- आधार कार्ड
- फोटो
- जाती प्रमाण पत्र
- स्थानीय प्रमाण पत्र
- वंशजों का जन्म प्रमाण पत्र
- संपत्ति के सभी दस्तावेज, जैसे कि कर विवरण, संपत्ति का दस्तावेज आदि
माता-पिता की मृत्यु के बाद संपत्ति का क्या होता है
माता-पिता की मृत्यु के बाद उनकी संपत्ति का सबसे बड़ा सवाल उनके उत्तराधिकारियों के लिए संपत्ति का विवाद है। संपत्ति संबंधी विवाद अक्सर उन रिश्तेदारों के बीच उत्पन्न होते हैं जो नियमित संबंध बनाए रखने के बावजूद एक-दूसरे से अलग हो जाते हैं। विवाद की स्थिति वही होती है जब एक ही संपत्ति के लिए दो या दो से अधिक वारिसों में भेदभाव होता है। इस तरह के संपत्ति विवाद रिश्ते में बेचैनी पैदा करते हैं जिसे बाद में सुधारना बहुत मुश्किल होता है।
इन विवादों का एक और कारण यह है कि माता-पिता की मृत्यु के बाद बच्चे अक्सर अपने लक्ष्यों और विचारों में अलग तरह के दिखाई देते हैं। ऐसे में प्रापर्टी को लेकर विवाद होना आम बात है। ऐसे संपत्ति विवादों से बचने के कुछ तरीके हैं
विवाद से बचने के उपाय
संपत्ति संबंधी विवादों से बचने के लिए सबसे बड़ी आवश्यकता संवेदनशीलता और समझौता करनी होती है। यदि संवेदनशीलता और समझौता किया जाए तो उत्तराधिकारियों के बीच संपत्ति संबंधी विवाद कम हो सकते हैं। यदि रिश्तेदारों के बीच संवेदनशील तरीके से बातचीत की जाए तो संपत्ति संबंधी विवादों को सुलझाना आसान हो सकता है।
कुछ जरुरी प्रशन (FAQ)
मां बाप की संपत्ति को उनके वंशजों को मिलती है।
मां बाप की संपत्ति को वंशजों के नाम पर करने के लिए, मृतक की मृत्यु प्रमाण पत्र, वंशजों का जन्म प्रमाण पत्र और संपत्ति के सभी दस्तावेज जैसे कि कर विवरण, संपत्ति का दस्तावेज आदि की जरूरत होती है।
जब कोई व्यक्ति मर जाता है तो उसकी संपत्ति उसके वंशजों या उसके वारिसों को मिलती है।
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पिता की संपत्ति पर पुत्र का कितना अधिकार होता है इस विषय में सारी जानकारी विस्तार से बताया है उम्मीद है कि यह जानकारी आप लोगों की अच्छी लगी होगी इस तरह के और भी जानकारी जानना चाहते हैं तो आर्टिकल के माध्यम से आपको मिल जाएगी इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें धन्यवाद